प्रेमानंद जी महाराज: त्याग, भक्ति और प्रेम की त्रिवेणी में डूबी एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा 2024

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में राधारानी के भजन-कीर्तन करते हैं. वे भजन मार्ग व कथा के द्वारा मोक्ष प्राप्ति का ज्ञान जेते हैं. जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज के जीवन के बारे में. प्रेमानंद जी महाराज, जिन्हें “प्रेमी बाबा” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के एक महान संत और धार्मिक गुरु है। उन्होंने अपना जीवन भगवान कृष्ण के भक्ति और प्रेम में समर्पित कर दिया। वे वृंदावन में रहते थे, जो भगवान कृष्ण की लीला भूमि के रूप में जाना जाता है।

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन 2024
प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन

पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज: वृंदावन के रसिक संत

पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज, वृंदावन के एक रसिक संत हैं। वे अनंत श्री विभूषित, वंशी अवतार, परात्पर प्रेम स्वरूप – श्री हित हरिवंश महाप्रभु द्वारा शुरू किए गए “सखी भाव” या “सचारी भाव” का प्रतीक हैं।

आज के समय में सच्चा आध्यात्मिक मार्गदर्शन बहुत दुर्लभ हो गया है। फिर भी, इस कलयुग में भी, पूज्य महाराज जी निरंतर महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवधारणाओं को सरल बना रहे हैं और उन्हें आम लोगों के लिए सुग्राह्य बना रहे हैं। वह न केवल आकांक्षियों को एक मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं, बल्कि कुछ चुनिंदा रसिक संतों में से एक हैं, जो कृपा पूर्वक सबसे गोपनीय और सर्वोच्च पवित्र ‘वृंदावन निवृत्त निकुंज उपासना’ और ‘नित्य विहार रस’ का वरदान दे रहे हैं, जिसे सबसे पहले प्रेम स्वरूप, वंशी अवतार श्री हित हरिवंश महाप्रभु ने साझा किया था।

पूज्य श्री महाराज जी हमें प्रिया-प्रियतम के प्रति पूर्ण समर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह बिना शर्त समर्पण हमें चिरानंद (अनंत आनंद) या प्रेम की अवस्था प्राप्त करने में मदद करेगा। यह अवस्था सबसे कठिन और कठोर साधना से भी प्राप्त नहीं की जा सकती क्योंकि अक्सर गहन साधना के बावजूद भी व्यक्ति पूरी तरह से देह-भाव और अहंकार को पार नहीं कर पाता है, जो शुद्ध प्रेम प्राप्त करने में बाधक हैं।

महाराज जी कहते हैं कि प्रेम प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय और निश्चित साधन वृंदावन धाम और ब्रज-राज (पवित्र धूलि) की शरण लेना है। वृंदावन को पृथ्वी पर कोई साधारण स्थान या सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि यह चिरंजीव (शाश्वत) स्थान है जहाँ आज भी प्रिया-प्रियतम के दिव्य लीला चल रहे हैं। वृंदावन धाम हमें सभी पापों से मुक्त करने और प्रियालाल के अनंत रस की वर्षा करने में पूर्ण रूप से सक्षम है। यदि हम वृंदावन धाम की शरण लेते हैं और अपने गुरु के निर्देशानुसार जीवन जीते हैं तो निस्संदेह हम अपनी सच्ची पहचान (स्वरूप प्राप्ति) प्राप्त कर लेंगे।

जिन लोगों को पूज्य महाराज जी के सत्संग सुनने और उनके सान्निध्य का लाभ उठाने का स्वर्णिम अवसर मिल रहा है, वे वास्तव में श्री श्यामा श्याम के आशीष प्राप्त हैं। ये भाग्यशाली आत्माएं जल्द ही खुद को प्रेम रस में सराबोर पाएंगीं।

“प्रेम” की इस स्थायी अवस्था को प्राप्त करने के लिए महाराज जी हमें निम्नलिखित का अभ्यास करने के लिए कहते हैं:

  1. सर्वत्र भगवत् भाव – See our God in all
    • वासुदेवः सर्वम्
    • जित् देखुँ तित् श्याम मयि
    • सिय राम मय सब जग जानी 
  2. पूर्ण समर्पण और आश्रय – Complete Surrender
    • प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समांहि 
  3. श्री जी की अहैतुकी कृपा पर अटूट विश्वास – Have unflinching Faith in the Cause less mercy and utmost compassion of Shri Ji
    • अवगुण करे समुद्र सम, गनत न अपनों जान | राई सम भजन को, मानत मेरु समान

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय: भक्ति और त्याग की प्रेरणादायी कहानी

प्रेमानंद जी महाराज, एक प्रसिद्ध कृष्ण भक्त और संत, जिनका जीवन त्याग, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही अध्यात्म की ओर रुचि रखने वाले प्रेमानंद जी महाराज ने 13 वर्ष की आयु में ही घर-बार त्यागकर संन्यासी जीवन अपना लिया। वृंदावन आगमन प्रेमानंद जी महाराज का जन्म 1861 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था। 1904 में, 43 वर्ष की आयु में, वे वृंदावन आए और यहीं रहने लगे। वृंदावन आने का उनका मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को और गहरा करना और लोगों को भक्ति मार्ग का संदेश देना था।

संन्यासी जीवन की कठोर तपस्या:

संन्यासी जीवन में प्रेमानंद जी महाराज ने अनेक कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने कई दिनों तक भूखे रहकर तपस्या की और गंगा नदी में प्रतिदिन तीन बार स्नान कर भगवान शिव और माता गंगा की पूजा अर्चना की। भिक्षा मांगने के स्थान पर वे 10-15 मिनट तक भोजन प्राप्ति की इच्छा से बैठते थे। यदि समय में भोजन न मिलता तो वे केवल गंगाजल पीकर रह जाते थे।

वृंदावन आगमन और रासलीला से जुड़ाव:

एक बार एक संत ने प्रेमानंद जी महाराज को वृंदावन में आयोजित होने वाली रासलीला देखने का निमंत्रण दिया। रासलीला देखकर वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना जीवन वृंदावन में राधा-कृष्ण की भक्ति में समर्पित करने का निर्णय लिया।

वृंदावन में जीवन और भक्ति:

वृंदावन आकर प्रेमानंद जी महाराज राधा वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़े और राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। उन्होंने अपना जीवन भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने और उन्हें भक्तिमार्ग पर प्रेरित करने में समर्पित कर दिया।

प्रेमानंद जी महाराज की शिक्षाएं:

प्रेमानंद जी महाराज ने अपने जीवनकाल में अनेक शिक्षाएं दीं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण: उन्होंने सिखाया कि जीवन का लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति होना चाहिए और इसके लिए हमें अपना सब कुछ ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए।
  • सच्चा प्रेम: उन्होंने सिखाया कि सच्चा प्रेम केवल ईश्वर के प्रति ही होता है।
  • त्याग और वैराग्य: उन्होंने सिखाया कि भौतिक सुखों का त्याग करके ही आध्यात्मिक उन्नति संभव है।
  • करुणा और दया: उन्होंने सिखाया कि हमें सभी प्राणियों के प्रति करुणा और दया का भाव रखना चाहिए।

कौन हैं प्रेमानंद महाराज के गुरु?
इसके बाद प्रेमानंद महाराज ने अपनी जिंदगी को राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की सेवा में समर्पित कर दिया. दावा किया जाता है कि प्रेमानंद महाराज के गुरु का नाम मोहित मराल गोस्वामी है. उन्होंने ही प्रेमानंद महाराज को दीक्षा दी थी. इस बारे में कहा जाता है कि एक दिन वृंदावन में राधाबलाभ मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी की प्रेमानंद महाराज पर नजर पड़ी. इसके बाद मोहित मराल गोस्वामी जी ने उन्हें श्री हित हरिवंश महाप्रभु द्वारा रचित ‘श्री राधा रस सुधा निधि का एक श्लोक सुनाया. मगर प्रेमानंद जी को इसका मतलब नहीं समझ आया. इसके बाद प्रेमानंद जी को उनके गुरुव ने श्री हित हरिवंश महाप्रभु के नाम का जाप और राधा नाम का जाप करने को कहा और महाराज प्रेमानंद को दीक्षा दी.

प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता

श्री हित राधा केली कुंज (Shri Hit Radha Keli Kunj) वृंदावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट, भक्तिवेदांत धर्मशाला के सामने, वृन्दावन-281121 उतार प्रदेश.

प्रेमानंद जी महाराज से कैसे मिले ?

प्रेमानंद जी महाराज Email ID[email protected]

प्रेमानंद जी महाराज Official Website https://vrindavanrasmahima.com/

Youtube Channel – Shri Hit Radha Kripa

Facebook – https://www.facebook.com/VrindavanRasMahima/

प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण पर आधारित थे। उनका मानना था कि भगवान कृष्ण को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है उनसे प्रेम करना। उन्होंने लोगों को सिखाया कि भक्ति के माध्यम से ही आत्मा का शुद्धिकरण और मोक्ष प्राप्ति संभव है।

वृंदावन आने से पहले आश्रम के नियम:

प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में कुछ महत्वपूर्ण नियम थे जिनका पालन सभी को करना होता था। ये नियम :

  • नियम 1: दैनिक पूजा और ध्यान का पालन करें।
  • नियम 2: संतों और आध्यात्मिक गुरुओं के सत्संग में भाग लें।
  • नियम 3: अहिंसा और दया का पालन करें।
  • नियम 4: सेवा और उपकार करें।
  • नियम 5: आध्यात्मिक साधना में निष्ठा और समर्पण बनाए रखें।

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन Time Schedule

Morning Schedule:

04:10 to 05:30am – Daily Morning Satsang by Pujya Maharaj Ji
05:30 to 06:30am – Mangla Aarti of Shri Ji & Van Vihar
06:30 to 08:15am – Hit Chaurasi ji (Mon, Wed, Thu, Sat, Sun) & Radha Sudhanidhi ji (Tue, Fri) Path
08:15 to 09:15am – Shringaar Aarti of Shri Ji, Bhakt-Namavali, Radha Naam Sankirtan

Afternoon Schedule:

04:00 to 04:15pm – Dhup Aarti
04:15 to 05:35pm – Daily Evening Vaanipath
05:35 to 06:00pm – Bhakt Charitra
06:00 to 06:15pm – Sandhya Aarti

और अधिक जानकरी जैसे की Daily Satsung, Vani Path, Bhajan Marg के लीये आप यहा जा सकते है – वृंदावण रास महिमा

आज भी प्रासंगिक:

प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। वे हमें सिखाते हैं कि भक्ति और प्रेम के माध्यम से ही हम जीवन में सच्ची खुशी और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

यह लेख प्रेमानंद जी महाराज के जीवन और उनके वृंदावन दर्शन पर आधारित है।

अतिरिक्त जानकारी:

  • प्रेमानंद जी महाराज के प्रसिद्ध भजन:
    • “मन तू राधा के प्यारे बन जा”
    • “मेरे मन तू गोविंद गाये”
    • “वृंदावन में राधा रानी”
  • प्रेमानंद जी महाराज से जुड़े त्यौहार:
    • प्रेमी बाबा महोत्सव: यह त्यौहार प्रतिवर्ष फरवरी-मार्च में प्रेमानंद जी महाराज की स्मृति में मनाया जाता है।
    • लड्डू महोत्सव: यह त्यौहार प्रतिवर्ष होली के बाद मनाया जाता है और प्रेमानंद जी महाराज द्वारा

निष्कर्ष:

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन त्याग, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण था। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और हमें जीवन जीने की सही राह दिखाती हैं।

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