7वें वेतन आयोग का महत्व
भारत में केंद्रीय वेतन आयोग की स्थापना केंद्र सरकार के कर्मचारियों, जिसमें रक्षा बल भी शामिल हैं, के वेतन और भत्तों की समीक्षा के लिए की जाती है। 7वां केंद्रीय वेतन आयोग (7th CPC), जो फरवरी 2014 में गठित हुआ था, ने 19 नवंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस आयोग की सिफारिशों का 13,86,171 सशस्त्र बल कर्मियों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
रक्षा बलों के संदर्भ में 7वें CPC की यात्रा विवादों और समस्याओं से भरी रही है। सशस्त्र बलों के प्रमुखों ने सरकार को सूचित किया था कि 7वें CPC की सिफारिशें “विसंगतिपूर्ण, भेदभावपूर्ण और ऐतिहासिक समानता के विपरीत” हैं। इन समस्याओं का प्रभाव न केवल वेतन पर बल्कि मनोबल, कमांड संरचना और एकजुटता पर भी पड़ा है।
वर्तमान में जब 8वें वेतन आयोग की तैयारी शुरू हो चुकी है, 7वें CPC के अनुभवों से सीख लेना और रक्षा बलों की उचित चिंताओं को समझना अत्यंत आवश्यक है। यह लेख उन सभी पहलुओं की विस्तृत चर्चा प्रस्तुत करता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समर्पित हमारे वीर योद्धाओं से जुड़े हैं।
7वें वेतन आयोग की पृष्ठभूमि
आयोग का गठन और उद्देश्य
7वां केंद्रीय वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में न्यायमूर्ति ए.के. माथुर की अध्यक्षता में किया गया था। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य था:
- केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा
- रक्षा बलों के संगठन, रैंक संरचना, वेतन और पेंशन की जांच
- महंगाई भत्ता (DA) और अन्य भत्तों का पुनर्निर्धारण
- समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित सिफारिशें
रिपोर्ट प्रस्तुति और प्रारंभिक प्रतिक्रिया
आयोग ने 19 नवंबर 2015 को अपनी 900 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़ाकर ₹21,700 करने की सिफारिश की गई थी, जो 2.57 के fitment factor पर आधारित थी।
रक्षा बलों की चिंताएं
रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण के तुरंत बाद, चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) ने सरकार को अवगत कराया कि:
- सिफारिशें ऐतिहासिक समानता के विपरीत हैं
- नागरिक सेवाओं के साथ तुलना में असंगतियां हैं
- कमांड और नियंत्रण संरचना पर नकारात्मक प्रभाव
- मनोबल और एकजुटता में गिरावट की संभावना
रक्षा बलों के लिए 7वें CPC की मुख्य सिफारिशें
वेतन संरचना में बदलाव
7वें CPC ने pay band और grade pay की पुरानी प्रणाली को समाप्त करके Pay Matrix की नई प्रणाली शुरू की। इस नई प्रणाली में:
मुख्य बिंदु:
- 2.57 का fitment factor सभी कर्मचारियों के लिए
- सिपाही (और समकक्ष) के लिए ₹21,700 शुरुआती वेतन
- पुराने ₹8,460 से 2.57 गुना वृद्धि
- level-wise progression की नई व्यवस्था
Military Service Pay (MSP) में संशोधन
7वें CPC ने Military Service Pay की दरों में भी बदलाव किया:
संशोधित MSP दरें (प्रति माह):
- अधिकारी: ₹15,500
- नर्सिंग अधिकारी: ₹10,800
- JCO/ORs: ₹5,200
- वायु सेना के Non-Combatants: ₹3,600
भत्तों में परिवर्तन
आयोग ने 52 भत्तों को समाप्त करने की सिफारिश की और जोखिम एवं कठिनाई भत्तों के लिए अलग नीति बनाई।
संशोधित वेतन संरचना और भुगतान मैट्रिक्स
रैंक-वार वेतन संरचना
रैंक | पे लेवल | मूल वेतन श्रेणी (₹) | MSP (₹) |
---|---|---|---|
सिपाही/सैनिक | Level 3 | 21,700 – 69,100 | 5,200 |
लांस नायक | Level 4 | 25,500 – 81,100 | 5,200 |
नायक | Level 5 | 29,200 – 92,300 | 5,200 |
हवलदार | Level 6 | 35,400 – 1,12,400 | 5,200 |
नायब सूबेदार | Level 6A | 41,800 – 1,32,000 | 5,200 |
सूबेदार | Level 7 | 44,900 – 1,42,400 | 5,200 |
सूबेदार मेजर | Level 8 | 47,600 – 1,51,100 | 5,200 |
लेफ्टिनेंट | Level 10 | 56,100 – 1,77,500 | 15,500 |
कैप्टन | Level 10B | 61,300 – 1,93,900 | 15,500 |
मेजर | Level 11 | 69,400 – 2,07,200 | 15,500 |
लेफ्टिनेंट कर्नल | Level 12A | 1,21,200 – 2,12,400 | 15,500 |
कर्नल | Level 13 | 1,30,600 – 2,15,900 | 15,500 |
ब्रिगेडियर | Level 13A | 1,39,600 – 2,17,600 | 15,500 |
मेजर जनरल | Level 14 | 1,44,200 – 2,18,200 | – |
लेफ्टिनेंट जनरल | HAG Scale | 1,82,200 – 2,24,100 | – |
जनरल (सेनाध्यक्ष) | Apex Scale | 2,50,000 (निश्चित) | – |
वेतन निर्धारण की प्रक्रिया
Step 1: मौजूदा मूल वेतन (pay band + grade pay) की पहचान – यह ‘A’ है
Step 2: ‘A’ को 2.57 से गुणा करें और निकटतम रुपये में round-off करें – यह ‘B’ है
Step 3: ‘B’ या उसके निकटतम उच्च आंकड़े को नए pay matrix में निर्धारित करें
रक्षा कर्मियों के लिए भत्ते और लाभ
प्रमुख भत्तों की संशोधित दरें
भत्ते का प्रकार | राशि (₹ प्रति माह) | श्रेणी |
---|---|---|
सियाचिन भत्ता (अधिकारी) | 42,500 | RH-MAX |
सियाचिन भत्ता (JCO/ORs) | 30,000 | RH-MAX |
उच्च ऊंचाई भत्ता Cat-I | 3,400 | R3H2 |
उच्च ऊंचाई भत्ता Cat-II | 5,300 | R3H1 |
स्पेशल फोर्सेज भत्ता (अधिकारी) | 25,000 | R1H1 |
स्पेशल फोर्सेज भत्ता (JCO/ORs) | 17,300 | R1H1 |
पैरा जंप इंस्ट्रक्टर भत्ता (अधिकारी) | 10,500 | R2H2 |
पैरा जंप इंस्ट्रक्टर भत्ता (JCO/ORs) | 6,000 | R2H2 |
फील्ड एरिया भत्ता | 10,500 | फील्ड सेवा |
काउंटर इन्सर्जेंसी भत्ता | 6,300 | ऑपरेशनल |
फ्लाइंग पे | 25,000 | तकनीकी |
सबमरीन भत्ता (नौसेना अधिकारी) | 25,000 | R1H1 |
सबमरीन भत्ता (नौसैनिक) | 17,300 | R1H1 |
ट्रांसपोर्ट भत्ता | 3,600 + DA | परिवहन |
मकान किराया भत्ता (HRA) | मूल वेतन का 8% से 24% | आवास |
सियाचिन भत्ते में विवाद

7वें CPC की सबसे बड़ी विवादास्पद सिफारिशों में से एक सियाचिन भत्ते को लेकर थी। आयोग ने सुझाव दिया कि:
समस्या: कई अन्य भत्ते (जैसे Special Duty Allowance – SDA) का मूल्य सियाचिन भत्ते से अधिक रखा गया, जबकि वे जोखिम और कठिनाई की दृष्टि से कम हैं।
रक्षा बलों की आपत्ति: “सियाचिन गुवाहाटी के बराबर या कम कैसे हो सकता है जब कठिनाई के कारक का निर्णय लिया जा रहा हो।”
सुझाव: रक्षा बलों ने सियाचिन भत्ते के लिए वेतन का 65% का सुझाव दिया था।
अन्य महत्वपूर्ण लाभ
स्वास्थ्य सुविधाएं:
- कर्मियों और परिवार के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार
- CGHS के तहत अस्पताल सुविधाएं
शिक्षा सहायता:
- सेना स्कूलों में बच्चों की सब्सिडी युक्त शिक्षा
- उच्च शिक्षा के लिए ऋण सुविधा
पेंशन और ग्रेच्युटी:
- जीवन भर पेंशन सुविधा
- सेवानिवृत्ति के बाद लाभ
- Death Cum Retirement Gratuity (DCRG)
7वें CPC में रक्षा बलों की प्रमुख समस्याएं
मुख्य विसंगतियां
रक्षा बलों ने पांच मुख्य समस्याओं की पहचान की थी:
1. Non-Functional Upgradation (NFU) का अभाव
समस्या: IAS, IFS, IPS अधिकारियों को 6वें CPC के बाद NFU मिलता है, लेकिन रक्षा बलों को नहीं।
प्रभाव:
- सैन्य अधिकारियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव
- कमांड, नियंत्रण और कार्यात्मक समस्याएं
- DRDO, BRO, MES जैसे संगठन भी NFU पाते हैं जो सेना के साथ मिलकर काम करते हैं
2. लेफ्टिनेंट जनरल की स्थिति
समस्या: केवल 33% लेफ्टिनेंट जनरल HAG+ स्केल में हैं।
मांग: सभी लेफ्टिनेंट जनरल को DGP के समान HAG+ स्थिति दी जाए।
3. रैंक समानता की समस्या
समस्या: लेफ्टिनेंट कर्नल, कर्नल और ब्रिगेडियर के लिए uniform grade pay और proper initial pay fixation नहीं।
4. Military Service Pay को HRA में न जोड़ना
7वें CPC का निर्णय: MSP और NPA को HRA की गणना में शामिल नहीं करना।
प्रभाव: पहले MSP और NPA को basic pay के साथ जोड़कर HRA की गणना होती थी।
5. वेतन स्तर में कमी
चिंता: नागरिक सेवाओं, पुलिस अधिकारियों और अन्य सिविल सेवकों की तुलना में सशस्त्र बलों के स्तर (रैंक), वेतन और स्थिति में गिरावट।
सैन्य नेतृत्व की प्रतिक्रिया
7 सितंबर 2016: चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CoSC) ने बैठक की और ‘विसंगतियों’ के समाधान तक 7वें CPC के कार्यान्वयन को रोकने का निर्णय लिया।
9 सितंबर 2016: एयर चीफ मार्शल अरुप राहा, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और जनरल दलबीर सिंह ने प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर “अनसुलझी विसंगतियों” पर चिंता व्यक्त की।
संदेश to Units: “अंतरिम काल में, कर्मियों से अपेक्षा की जाती है कि वे परिपक्वता और धैर्य दिखाएं, और किसी भी तरफ से अफवाहों या अटकलबाजी से प्रभावित न हों।”
सरकार की प्रतिक्रिया और समाधान के प्रयास
प्रारंभिक कार्यान्वयन
5 सितंबर 2016: भारत सरकार ने 7वें CPC की सिफारिशों को मामूली संशोधनों के साथ लागू किया।
रक्षा मंत्रालय की स्थिति: “जो भी निर्णय लिए गए हैं, उन्हें लागू करना होगा और वैध शिकायतों को बाद में संबोधित किया जा सकता है।”
सैन्य नेतृत्व के साथ बातचीत
14 सितंबर 2016: तीनों सेनाओं के मुख्यालयों ने, सर्वोच्च स्तर पर आश्वासन के बाद कि सशस्त्र बलों के वेतन, पेंशन, भत्ते, रैंक समानता और स्थिति को प्रभावित करने वाली विसंगतियों को संबोधित किया जाएगा, अपने कमांडों को सरकारी निर्णय लागू करने का निर्देश जारी किया।
रक्षा मंत्री का आश्वासन
एयर चीफ मार्शल अरुप राहा का वक्तव्य (14 सितंबर 2016):
“सशस्त्र बलों के संबंध में 7वें वेतन आयोग की विसंगतियों के बारे में तीनों सेनाओं के प्रमुखों और सशस्त्र बल वेतन आयोग के प्रकोष्ठ के सदस्यों ने माननीय रक्षा मंत्री के साथ विस्तार से चर्चा की है। माननीय रक्षा मंत्री ने सभी मुद्दों पर विचार करके उन्हें जल्द से जल्द हल करने का आश्वासन दिया है। तीनों सेनाएं उनके जवाब से संतुष्ट हैं।”
कार्यान्वयन के बाद की स्थिति
हालांकि सरकार ने आश्वासन दिया था, परंतु कई मुख्य विसंगतियां अभी भी पूर्णतः हल नहीं हुई हैं। इससे सैन्य समुदाय में असंतोष बना रहा है और 8वें वेतन आयोग से उम्मीदें बढ़ी हैं।
8वें वेतन आयोग की उम्मीदें और प्रक्षेपण
8वें CPC की घोषणा और तैयारी
16 जनवरी 2025: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी।
अपेक्षित कार्यान्वयन: 1 जनवरी 2026 से
प्रभावित होने वाले: लगभग 48.62 लाख कर्मचारी और 67.85 लाख पेंशनभोगी
Fitment Factor और वेतन वृद्धि की उम्मीदें
अपेक्षित Fitment Factor: 2.28 से 2.86 के बीच
वेतन वृद्धि का प्रक्षेपण: 30% से 45% तक
रक्षा बलों के लिए प्रक्षेपित वेतन (2.57x Fitment Factor के आधार पर)
रैंक | 7वें CPC मूल वेतन श्रेणी (₹) | 8वें CPC प्रक्षेपित वेतन (2.57x) ₹ |
---|---|---|
सिपाही/सैनिक | 21,700 – 69,100 | 55,769 – 1,77,687 |
लांस नायक | 25,500 – 81,100 | 65,535 – 2,08,427 |
नायक | 29,200 – 92,300 | 75,044 – 2,37,211 |
हवलदार | 35,400 – 1,12,400 | 90,978 – 2,88,868 |
नायब सूबेदार | 41,800 – 1,32,000 | 1,07,426 – 3,39,240 |
सूबेदार | 44,900 – 1,42,400 | 1,15,393 – 3,66,968 |
सूबेदार मेजर | 47,600 – 1,51,100 | 1,22,332 – 3,88,327 |
लेफ्टिनेंट | 56,100 – 1,77,500 | 1,44,177 – 4,56,175 |
कैप्टन | 61,300 – 1,93,900 | 1,57,541 – 4,98,323 |
मेजर | 69,400 – 2,07,200 | 1,78,358 – 5,32,504 |
लेफ्टिनेंट कर्नल | 1,21,200 – 2,12,400 | 3,11,484 – 5,46,868 |
कर्नल | 1,30,600 – 2,15,900 | 3,35,642 – 5,55,963 |
ब्रिगेडियर | 1,39,600 – 2,17,600 | 3,58,752 – 5,59,232 |
मेजर जनरल | 1,44,200 – 2,18,200 | 3,70,594 – 5,60,774 |
लेफ्टिनेंट जनरल | 1,82,200 – 2,24,100 | 4,68,054 – 5,75,937 |
जनरल (सेनाध्यक्ष) | 2,50,000 | 6,42,500 |
रक्षा बलों की प्राथमिकताएं 8वें CPC में
1. विसंगतियों का समाधान
- NFU का प्रावधान
- रैंक समानता की बहाली
- उचित pay fixation
2. भत्तों में सुधार
- सियाचिन भत्ते में वृद्धि
- जोखिम और कठिनाई matrix का सही आकलन
- MSP को HRA गणना में शामिल करना
3. पेंशन सुधार
- OROP (One Rank One Pension) का पूर्ण कार्यान्वयन
- पेंशन की गणना में सुधार
वित्त मंत्रालय की तैयारी
कंसल्टेशन शुरू: वित्त मंत्रालय ने प्रमुख विभागों और राज्य सरकारों के साथ बातचीत शुरू की है:
- रक्षा मंत्रालय
- गृह मंत्रालय
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग
- विभिन्न राज्य सरकारें
वर्तमान स्थिति और नवीनतम अपडेट
2025 में रक्षा बलों की वेतन स्थिति
वर्तमान DA दर (जुलाई 2025): 58% (55% से 3% की वृद्धि)
अगली DA वृद्धि: अक्टूबर 2025 में दिवाली से पहले घोषणा की उम्मीद
जनवरी 2026 से अपेक्षित DA: 59-60%
8वें CPC की तैयारी में नवीनतम घटनाक्रम
सितंबर 2025:
- CPI-IW आंकड़े जारी
- DA/DR वृद्धि के लिए कैबिनेट अप्रूवल की प्रतीक्षा
- 8वें CPC के लिए विभागीय परामर्श जारी
अक्टूबर 2025 तक अपेक्षित:
- DA हाइक की आधिकारिक घोषणा
- 8वें CPC के chairman और members की नियुक्ति
- Terms of Reference का निर्धारण
रक्षा कर्मियों के लिए वर्तमान चुनौतियां
1. महंगाई का प्रभाव
- जीवन यापन की बढ़ती लागत
- वेतन की वास्तविक purchasing power में कमी
- परिवारिक जरूरतों की पूर्ति में कठिनाई
2. सामाजिक स्थिति
- नागरिक सेवाओं के मुकाबले घटती हुई सामाजिक प्रतिष्ठा
- युवाओं में सेना में भर्ती होने की घटती इच्छा
- परिवारों में स्थिति संबंधी चिंताएं
3. तकनीकी अंतर
- आधुनिक हथियार और तकनीक की आवश्यकता
- प्रशिक्षण और विकास के लिए संसाधन
- साइबर सिक्युरिटी और आधुनिक युद्ध की तैयारी
विशेषज्ञों की राय और सुझाव
रक्षा विशेषज्ञों के विचार
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह
“7वें वेतन आयोग में जो गलतियां हुई हैं, उन्हें 8वें में दोहराना नहीं चाहिए। सेना की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझना आवश्यक है।”
रक्षा विश्लेषक एयर मार्शल अनिल चोपड़ा
“तकनीकी युग में सेना की भूमिका बदल रही है। वेतन संरचना भी इस बदलाव को दर्शाना चाहिए।”
नीति निर्माताओं के सुझाव
1. अलग सैन्य वेतन आयोग
प्रस्ताव: रक्षा बलों के लिए अलग से विशेषज्ञ आयोग का गठन
लाभ:
- सैन्य विशेषताओं की बेहतर समझ
- तुरंत निर्णय और कार्यान्वयन
- राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं का सही आकलन
2. नियमित समीक्षा तंत्र
सुझाव: हर 5 साल में सैन्य वेतन की समीक्षा
आवश्यकता:
- तेज़ी से बदलती परिस्थितियों के अनुकूल
- मनोबल बनाए रखने के लिए
3. प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन
नई सोच: वेतन के साथ-साथ प्रदर्शन आधारित bonuses
क्षेत्र:
- युद्ध तत्परता
- तकनीकी दक्षता
- नेतृत्व विकास
अर्थशास्त्रियों की सलाह
Dr. सुमित्रा चौधरी (JNU)
“रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन में जाता है। इसे productive investment में तब्दील करने की जरूरत है।”
Prof. राजेश कुमार (Delhi School of Economics)
“8वें CPC में fiscal responsibility के साथ-साथ national security priorities को भी ध्यान में रखना होगा।”
भविष्य की रणनीति और सुधार के सुझाव
तत्काल आवश्यक सुधार
1. विसंगति समिति का गठन
उद्देश्य: 7वें CPC की बकाया समस्याओं का तुरंत समाधान
सदस्य:
- रक्षा सचिव (अध्यक्ष)
- तीनों सेनाओं के उप प्रमुख
- वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि
- स्वतंत्र रक्षा विशेषज्ञ
2. डिजिटल पेमेंट सिस्टम
लक्ष्य: सभी भुगतान और भत्तों का डिजिटलीकरण
लाभ:
- पारदर्शिता
- तुरंत भुगतान
- भ्रष्टाचार में कमी
8वें CPC के लिए रणनीतिक सुझाव
1. सैन्य प्रतिनिधित्व
आवश्यकता: आयोग में सेवारत या सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों का प्रतिनिधित्व
लाभ:
- व्यावहारिक समझ
- ground reality की जानकारी
- तुरंत समाधान
2. रैंक पैरिटी Matrix
प्रस्ताव: नागरिक और सैन्य रैंकों की scientific comparison
आधार:
- जिम्मेदारी का स्तर
- निर्णय लेने की शक्ति
- जोखिम और चुनौती
3. भत्ता रीडिजाइन
जरूरत: जोखिम और कठिनाई के वैज्ञानिक आकलन पर आधारित भत्ते
मापदंड:
- मानसिक तनाव
- शारीरिक चुनौती
- परिवार से अलगाव
- जीवन का जोखिम
निष्कर्ष और भविष्य की दिशा
मुख्य निष्कर्ष
7वां केंद्रीय वेतन आयोग रक्षा बलों के लिए एक मिश्रित अनुभव रहा है। जहां वेतन में वृद्धि हुई है, वहीं गंभीर विसंगतियों ने सैन्य समुदाय में असंतोष पैदा किया है। मुख्य समस्याएं हैं:
- NFU की अनुपस्थिति
- रैंक पैरिटी में कमी
- भत्तों में असंगतियां
- सामाजिक स्थिति में गिरावट
8वें CPC से उम्मीदें
आगामी 8वां केंद्रीय वेतन आयोग एक सुनहरा अवसर है इन सभी समस्याओं के समाधान का। रक्षा बल और सरकार दोनों को मिलकर:
1. ऐतिहासिक न्याय सुनिश्चित करना
- 7वें CPC की सभी विसंगतियों का समाधान
- भविष्य के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश
2. आधुनिक सैन्य आवश्यकताओं की पहचान
- 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुकूल
- तकनीकी युद्ध की तैयारी
3. राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता
- सेना को आकर्षक करिअर विकल्प बनाना
- युवाओं में सेवा की भावना जगाना
राष्ट्रीय महत्व
भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, मजबूत और संतुष्ट सेना राष्ट्रीय सुरक्षा की पहली आवश्यकता है। चीन और पाकिस्तान के साथ चुनौतीपूर्ण सीमाओं पर तैनात हमारे वीर सैनिकों का मनोबल राष्ट्रीय हित में सर्वोपरि है।
वेतन और सम्मान सिर्फ आर्थिक मुद्दे नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और गर्व के मामले हैं। जो लोग देश की सीमाओं पर अपना जीवन दांव पर लगाते हैं, उनके साथ न्याय करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
आगे का रास्ता
8वें केंद्रीय वेतन आयोग को न केवल वेतन वृद्धि का साधन बनना चाहिए, बल्कि सैन्य सुधार और आधुनिकीकरण का प्लेटफॉर्म भी। इसके लिए आवश्यक है:
- राजनीतिक इच्छाशक्ति
- वित्तीय प्रतिबद्धता
- सामाजिक समर्थन
- दीर्घकालिक दृष्टि
जब तक हमारे सैनिकों को उचित सम्मान और पारिश्रमिक नहीं मिलेगा, तब तक राष्ट्रीय सुरक्षा का सपना अधूरा रहेगा। 8वां वेतन आयोग इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
“सैनिक की खुशी राष्ट्र की सुरक्षा है, और राष्ट्र की सुरक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी।”
महत्वपूर्ण लिंक और संसाधन
सरकारी वेबसाइटें
- रक्षा मंत्रालय: mod.gov.in
- कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग: dopt.gov.in
- वित्त मंत्रालय: finmin.gov.in
नवीनतम अपडेट के लिए
अस्वीकरण: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी और विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर तैयार किया गया है। नवीनतम नीतिगत बदलावों के लिए आधिकारिक स्रोतों की जांच करें।